जिसने मुझे चाहा उसे मैं चाह ना पाया , जिसने मुझे जाना उसे मैं जान ना पाया ,
जिसने मुझे समझा उसे मैं समझ ना पाया , भटकता रहा जानी अनजानी राहों पर ,
मंजिलों के करीब होकर भी मंजिलों तक पहुँच ना पाया , ना जाने कैसे रस्ते थे वोह ,
ना जाने कैसे हमसफ़र , जिन्हें पाना चाहते हुए भी मैं पा ना पाया .
Monday, April 19, 2010
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