प्यार करने का फैसला भी मेरा था , हाथ पकड़ने का वादा भी मेरा था ,
साथ चलने का इरादा भी मेरा था , तुम्हें पाने की चाहत भी मेरी थी ,
साथ मुस्कुराने का मन भी मेरा था तुम्हें रूठने पर मानाने का काम भी मेरा था ,
रास्ते भी मेरे थे , मंजिलें भी मेरी थीं ,
तुम्हें छूकर हर्षाता भी मैं था , तुम्हारे लिए दीवाना भी मैं था ,
तुम्हारी अदाओं पर मरजाता भी मैं था , तुम्हारी आँखों में खोजता भी मैं था ,
तुम्हारे होठों को छूता भी मैं था , तुम्हें दर्द में डुबोता भी मैं था ,
उन्ज़ुल्फों से खेलता भी मैं था , उन हस्तों को छेड़ता भी मैं था ,
उस माथे को चूमता भी मैं था , मद मस्त हाथी सा झूमता भी मैं था ,
तुम्हारी आँखों में आंसू देजाता भी मैं था , उन आंसुओं को पोछता भी मैं था ,
तुम्हारे गुस्से की वजह भी मैं था , तुम्हारी खिलखिलाती हंसी का कारण भी मैं था ,
वोह सारे सपने दिखता भी मैं था , और उन आधे आधुरे सपनों के सच न होने पर मुरझाता भी मैं था ,
तुम पर ज़ुल्म भी किये थे मैंने , पर तुमसे प्यार भी किया था मैंने ,
तुम को जानता भी मैं था , और कभी कभी तुमसे अनजाना सा भी मैं था ,
एक ऐसी प्रेम कहानी थी मेरी , जिसका नायक भी मैं था , और खलनायक भी मैं था .
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2 comments:
excellent piece.....
extreme emotions..........
excellent piece....
extreme emotions.....
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