Monday, April 19, 2010

तू याद आने लगे

जब  उम्मीद  का  दामन  छूटने  लगे , आशाएं  इन  आँखों  से  आंसू  बनकर  निर्झर  बहने  लगें ,
जब  नींद  और  चैन  इन  आँखों  से  उडजाने  लगे ,
किसी  जोड़े  को  देख  कर  ये  मन  मुरझाने  लगे ,

जब  सब  कुछ  पास  होकर  भी  दूर  दूर  सा  लगे , प्यार  होकर  भी  मेरा  दिल  खाली  खाली  सा  लगे ,
तुझे  भूलने  की  चाह  में  ज़िन्दगी  से  मेरा  मन  रूठ  जाने  लगे , जब  हर  कोई  इस  दिल  को  पराया  सा  लगे ,
हर  ख़ुशी  हर  रंग  फीका  फीका  सा  लगे ,
जब  बेचैन  सी  मेरी  आहें  तुझे  पुकारने   लगें , जब  लाख  उपाए  करने  के  बाद  भी  दिल  का  दर्द  कम  होने  का  नाम  ना  ले .
ठंडी  हवाओं  के  झोंके  इस  तन  को  झुलसाने  लगें , बारिश  के  मौसम  में  भी  सब  कुछ  सूखा  और  बंजर  सा  लगे ,
जब  समय  का  काँटा  घूमते  हुए  भी  मुझे  एक  जगह  पर  रुका -रुका  सा  लगे , जब  परेशानियाँ  और  दर्द  ही  मुझे  हरषाने  लगे ,
तुझे  ये  नयन  दुनिया  की भीड़  में  हरकदम  खोजें , जब  अकेला  पन  मुझे  काट  खाने  लगे ,

संसार  के  सभी  सुख  सारी  दौलत  भी  कोई  ख़ुशी  ना  दे ,
जब  सब  कुछ  जानते  समझते  हुए  भी  हम  नासमझ , बनजाने  लगें ,
जब  तेरी  एक  झलक  के  लिए  ये  ह्रदय  ललचाने  लगे ,
जब  लोगों  के  लाख  समझाने  मन  करने  पर  भी  तेरी  गलियों  में  गूम  होजाने  को  ये  मन  तरसने  लगे ,

तू  याद  आने  लगे
तू  याद  आने  लगे .

2 comments:

suraj upadhyay said...

kya baat hai

suraj upadhyay said...

kya baat hai