जब उम्मीद का दामन छूटने लगे , आशाएं इन आँखों से आंसू बनकर निर्झर बहने लगें ,
जब नींद और चैन इन आँखों से उडजाने लगे ,
किसी जोड़े को देख कर ये मन मुरझाने लगे ,
जब सब कुछ पास होकर भी दूर दूर सा लगे , प्यार होकर भी मेरा दिल खाली खाली सा लगे ,
तुझे भूलने की चाह में ज़िन्दगी से मेरा मन रूठ जाने लगे , जब हर कोई इस दिल को पराया सा लगे ,
हर ख़ुशी हर रंग फीका फीका सा लगे ,
जब बेचैन सी मेरी आहें तुझे पुकारने लगें , जब लाख उपाए करने के बाद भी दिल का दर्द कम होने का नाम ना ले .
ठंडी हवाओं के झोंके इस तन को झुलसाने लगें , बारिश के मौसम में भी सब कुछ सूखा और बंजर सा लगे ,
जब समय का काँटा घूमते हुए भी मुझे एक जगह पर रुका -रुका सा लगे , जब परेशानियाँ और दर्द ही मुझे हरषाने लगे ,
तुझे ये नयन दुनिया की भीड़ में हरकदम खोजें , जब अकेला पन मुझे काट खाने लगे ,
संसार के सभी सुख सारी दौलत भी कोई ख़ुशी ना दे ,
जब सब कुछ जानते समझते हुए भी हम नासमझ , बनजाने लगें ,
जब तेरी एक झलक के लिए ये ह्रदय ललचाने लगे ,
जब लोगों के लाख समझाने मन करने पर भी तेरी गलियों में गूम होजाने को ये मन तरसने लगे ,
तू याद आने लगे
तू याद आने लगे .
Monday, April 19, 2010
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2 comments:
kya baat hai
kya baat hai
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